एसपी ट्रैफिक ने पत्नी संग खाई फाइलेरिया की दवा-
1 min readरफ़्तार इंडिया न्यूज़-गोरखपुर-
एसपी ट्रैफिक ने पत्नी संग खाई फाइलेरिया की दवा-
जिले में 50 लाख के सापेक्ष 40 लाख लोग खा चुके दवा-
कर्मचारियों अधिकारियों को फाइलेरिया की दवा खाने के लिए किया निवेदन-
गोरखपुर। पुलिस लाइन व्हाइट हाउस में पुलिस अधीक्षक डॉक्टर महेंद्र पाल सिंह ने पत्नी मीनाक्षी सिंह संग खाई फाईलेरिया से बचाव की दवा वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक डॉ विपिन ताडा के निर्देश पर पुलिस विभाग के समस्त अधिकारी कर्मचारी उनके परिवार जन फाइलेरिया की दवा खा रहे हैं दवा खाने से पूर्ण रूप से सुरक्षित महसूस कर रहे हैं। अभी पिछले शुक्रवार को जिलाधिकारी विजय किरन आनंद ने भी फाइलेरिया की दवा खाई थी जो पूर्ण रूप से स्वस्थ है। पुलिस अधीक्षक ट्रैफिक डॉक्टर महेंद्र पाल सिंह ने अन्य लोगों से अपील की है कि वह सुरक्षित और असरदार फाइलेरिया की दवा का सेवन अवश्य करें । जिले में 12 मई से अब मई चले सामूहिक दवा सेवन कार्यक्रम अभियान के दौरान 50 लाख के लक्ष्य के सापेक्ष 40 लाख लोग दवा खा चुके हैं । छूटे हुए लोगों के लिए आज बुधवार से छह जून तक माप अप राउंड चलाया जा रहा जिससे सभी को दवा वितरण कर खिलाया जा सके और फाइलेरिया से बचाया जा सके ।
जिला मलेरिया अधिकारी अंगद सिंह ने बताया कि माप अप राउंड के पहले भी मोबाइल टीम विभिन्न प्रमुख कार्यालयों में दवा खिलाने का कार्य जारी कर दी हैं ।दवा से छूटे हुए लोग आशा कार्यकर्ता से दवा लेकर सेवन कर सकते हैं। अगर पांच साल तक साल में एक बार दवा का सेवन किया जाए तो इस बीमारी से बचाव संभव है ।इस दवा का सेवन दो साल से अधिक उम्र के सभी लोगों (गर्भवती व गंभीर तौर पर बीमार लोगों को छोड़कर) को करना है । दवा खाना खाने के बाद स्वास्थ्यकर्मियों के सामने ही खानी है । जिन लोगों के शरीर में परजीवी होते हैं,जब वह लोग दवा खाते हैं तो परजीवियों पर हमला होता है और कुछ लोगों में उल्टी,मिचली,सिरदर्द जैसे लक्षण सामने आते हैं लेकिन थोड़े ही समय में यह स्वतः समाप्त हो जाते हैं। अभियान के दौरान दवा का सेवन उन लोगों को अनिवार्य तौर पर करना है जिन्हें फाइलेरिया नहीं है । यह दवा एक प्रकार से फाइलेरिया के टीके की तरह है । क्यूलेक्स मच्छर फाइलेरिया संक्रमित व्यक्ति को काटने के बाद किसी स्वस्थ व्यक्ति को काटता है तो उसे भी संक्रमित कर देता है, लेकिन संक्रमण का यह लक्षण आने में पांच से पंद्रह साल तक भी लग जाते हैं । इससे या तो संक्रमित व्यक्ति को हाथीपांव हो जाता है, जिसमें हाथ, पैर, स्तन सूज जाते हैं अथवा हाइड्रोसील हो जाता है जिसमें अंडकोष सूज जाता है। हाथीपांव के साथ जीवन का निर्वहन कठिन हो जाता है। इन स्थितियों से बचने का एक ही उपाय है कि दवा का सेवन किया जाए। इस दौरान जिला मलेरिया अधिकारी अंगद सिंह सहायक मलेरिया अधिकारी राजेश चौबे अन्य संबंधित मौजूद रहे।
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