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कोरोना से भी खतरनाक लेप्टोस्पायरोसिस,वाराणसी में 10 से अधिक बच्चे संक्रमित-

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रफ़्तार इंडिया न्यूज़-डेस्क-लखनऊ-
Pablice-by-Gurucharan Prajapati-1st
09-Sep-23-Sat-
08:05-sat-
कोरोना से भी खतरनाक लेप्टोस्पायरोसिस,वाराणसी में 10 से अधिक बच्चे पीड़ित,अलर्ट जारी तेज बुखार के कारण चेतगंज की बालिका को निजी अस्पताल में भर्ती कराया गया। डॉक्टरों ने जांच कराई,लेकिन बीमारी पकड़ में नहीं आई। इसके बाद सी रिएक्टिव प्रोटीन(सीआरपी)जांच कराई गई। सीआरपी ज्यादा मिली तो डॉक्टर चिंतित दिखे।



आशंका के आधार पर लेप्टोस्पायरोसिस की जांच कराई तो रिपोर्ट पॉजिटिव आई। सीएमओ डॉ.संदीप चौधरी ने बताया कि लेप्टोस्पायरोसिस के बारे में जानकारी मिली है। बाल रोग विशेषज्ञों को अलर्ट किया गया है। इससे पहले 2013 में मामले सामने आए थे। मंडलीय अस्पताल के बालरोग विशेषज्ञ डॉ.सीपी गुप्ता ने बताया कि ओपीडी में मरीज आ रहे हैं।

तीन चार दिन से ज्यादा है बुखार तो ना लें हल्के में
भारतीय बाल अकादमी के अध्यक्ष डॉ.आलोक भारद्वाज के मुताबिक,बुखार अगर तीन-चार दिन से ज्यादा है तो इसे हल्के में न लें। सीआरपी की जांच कराइए। अगर सीआरपी ज्यादा आए तो समझ लें बैक्टीरियल बुखार है। इसके बाद लेप्टोस्पायरोसिस की जांच करानी होगी। इसके लक्षण डेंगू और वायरल से मिलते हैं। इसमें प्लेटलेट्स तेजी से नहीं डाउन होता है। 30 से 40 हजार तक पहुंचने के बाद रिकवर हो जाता है।

चूहे के मूत्र के जरिये फैल रही बीमारी-

नवजात शिशु संघ के प्रदेश अध्यक्ष और बाल रोग विशेषज्ञ डॉ. अशोक राय के मुताबिक अब तक बाल लेप्टोस्पायरोसिस पीड़ित पांच बच्चों का इलाज कर चुके हैं। यह बीमारी चूहे के मूत्र के जरिये बच्चों में फैल रही है। इसमें डेंगू की तरह ही बुखार आएगा। यह शरीर के सभी अंगों को प्रभावित करता है। पहले सामान्य बुखार होता है। लक्षण पांच से छह दिन बाद मिलते हैं। सही इलाज न मिले तो बुखार 10 से 15 दिन रहता है। इससे कभी पीलिया तो कभी हार्ट फेल होने का खतरा रहता है।

कोरोना से ज्यादा खतरनाक यह बैक्टीरिया है-

बीएचयू के जीवविज्ञानी प्रो.ज्ञानेश्वर चौबे ने बताया कि लेप्टोस्पायरोसिस बैक्टीरिया कोरोना वायरस से भी ज्यादा खतरनाक है। कोरोना की चपेट में आने वालों की मृत्यु दर से एक से डेढ़ फीसदी है,जबकि लेप्टोस्पायरोसिस की तीन से 10 फीसदी है। इस बीमारी के वाहक चूहे हैं। चूहे ने कहीं पेशाब किया और आपकी स्किन कटी है तो अगर आप इसके संपर्क में आते हैं तो लेप्टोस्पायरोसिस होने की आशंका रहती है। यह बैक्टीरिया छह महीने तक पानी में जीवित रह सकता है। जुलाई से अक्तूबर के बीच बैक्टीरियल इंफेक्शन ज्यादा होता है।

रफ़्तार इंडिया न्यूज़-डेस्क-लखनऊ-

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