प्रजापति समाज को पूर्वांचल में राजनीतिक हिस्सेदारी की तलाश-
1 min read रफ़्तार इंडिया न्यूज़-गोरखपुर-
रिपोर्ट-जर्न.गुरूचरण प्रजापति-गोरखपुर
22/सितंबर-25-Mon-
प्रजापति समाज को पूर्वांचल में राजनीतिक हिस्सेदारी की तलाश-
वोट तो सबको चाहिए, पर नेतृत्व कोई क्यों नहीं?
गोरखपुर–
गोरखपुर-प्रजापति समाज,जो देशभर में मेहनती,शिल्पकार और परिश्रमी समाज के रूप में जाना जाता है,आज भी राजनीति में हिस्सेदारी से वंचित है। देश की कुल जनसंख्या में लगभग 5-6 प्रतिशत हिस्सेदारी रखने वाला यह समुदाय उत्तर प्रदेश,बिहार,राजस्थान,मध्य प्रदेश,दिल्ली, गुजरात,महाराष्ट्र,झारखंड समेत कई राज्यों में संख्या बल के बावजूद राजनैतिक हाशिए पर है।
राजनीतिक दल चुनाव आते ही इस समाज के वोट तो मांगते हैं,लेकिन टिकट देने के समय उन्हें अनदेखा कर देते हैं। यही कारण है कि पूर्वांचल का प्रजापति समाज आज खुद को ठगा और शोषित महसूस कर रहा है।
वोट बैंक मजबूत,प्रतिनिधित्व शून्य-
देशभर की राजनीति में हर दल को प्रजापति समाज का वोट चाहिए। लेकिन लोकसभा,विधानसभा और यहां तक कि नगर निकाय चुनावों तक में इस समुदाय को टिकट देने से सभी कन्नी काटते हैं।
दिल्ली विधानसभा चुनाव इसका ताज़ा उदाहरण है, जहां किसी भी दल ने प्रजापति समाज को टिकट नहीं दिया।
बिहार में अब तक किसी को नहीं मिला टिकट-
बिहार विधानसभा चुनाव 2025 की सरगर्मियों के बीच प्रजापति समाज की नाराजगी साफ दिख रही है। आज़ादी के बाद से अब तक बिहार में किसी भी पार्टी ने इस समाज से उम्मीदवार नहीं उतारा। कांग्रेस, जदयू, राजद हो या भाजपा—सभी ने इस वर्ग को केवल वोटर मानकर नज़रअंदाज किया।
पश्चिम में मिली हिस्सेदारी,पूर्वांचल में उपेक्षा-
उत्तर प्रदेश में पश्चिमी क्षेत्र में भाजपा ने धर्मवीर प्रजापति को एमएलसी बनाकर मंत्री पद दिया है। लेकिन पूर्वांचल क्षेत्र की बात करें तो यहां आज तक किसी भी राजनीतिक दल ने प्रजापति समाज के किसी भी नेता को टिकट नहीं दिया।
“अगर टिकट नहीं,तो वोट भी नहीं”
समाज का कहना है कि अब वे चुप नहीं बैठेंगे। नई पीढ़ी स्पष्ट संदेश दे रही है—अगर टिकट नहीं मिलेगा, तो वोट भी नहीं मिलेगा।
संगठन में सक्रिय,पर राजनीति में उपेक्षित-
देवरिया जनपद के मूल निवासी डॉ.अरुण कुमार प्रजापति, जो छात्र जीवन से ही राष्ट्रवादी विचारधारा से जुड़े हुए हैं, एक दशक तक अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद में सक्रिय रहे। वर्तमान में वे क्रीड़ा भारती,गोरक्ष प्रांत के प्रांत अध्यक्ष के रूप में कार्य कर रहे हैं।
संगठन में बड़े पद पर रहते हुए भी वे अपने समाज को राजनीतिक हिस्सेदारी नहीं दिला पा रहे हैं। यही उपेक्षा समाज की पीड़ा को और गहरा करती है।
रफ़्तार इंडिया न्यूज़-गोरखपुर