महराजगंज में -यूपी-रक्षामंत्री एवं यूपी मुख्यमंत्री द्वारा कल महंत अवैद्यनाथ की भव्य प्रतिमा का करेंगे अनावरण-
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महाराजगंज में होगा महंत अवेद्यनाथ की भव्य प्रतिमा का अनावरण:सामाजिक समरूपता और अयोध्या में श्रीराम मंदिर के लिए आजीवन समर्पित रहे ब्रह्मलीन महंत अवेद्यनाथ
गोरखपुर-महराजगंज 6 घंटे पहले
क्षा मंत्री और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के साथ महंत अवेद्यनाथ महाविद्यालय चौक बाजार,महराजगंज में ब्रह्मलीन महंतअवैध की दिव्य प्रतिमा का अनावरण करेंगे-
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रक्षामंत्री और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के साथ महंत अवेद्यनाथ महाविद्यालय चौक बाजार,महराजगंज में ब्रह्मलीन महंतश्री की दिव्य प्रतिमा का अनावरण करेंगे।
ब्रह्मलीन गोरक्षपीठाधीश्वर महंत अवेद्यनाथ का जीवन में दो ही सपना था। पहला ऊंच-नीच,जाति-पाति औऱ छुआछूत एवं अस्पृश्यता की कुरीति को खत्म कर सामाजिक समरसता की स्थापना करना। दूसरा सपना था अयोध्या में श्रीराम की जन्मभूमि पर भव्य मंदिर का निर्माण। इन दोनों सपनों को पूरा करने के लिए वह ताउम्र मिशनरी भाव से जुड़े रहे।
उनका शुमार श्रीराम मंदिर आंदोलन के नायकों में होता है। ब्रह्मलीन गोरक्षपीठाधीश्वर महंत अवेद्यनाथ की पुण्य स्मृति में शीश नवाने के लिए केंद्रीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह शुक्रवार को महराजगंज जिले में मौजूद रहेंगे। रक्षा मंत्री और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के साथ महंत अवेद्यनाथ महाविद्यालय चौक बाजार,महराजगंज में ब्रह्मलीन महंतश्री की दिव्य प्रतिमा का अनावरण करेंगे।
अपने मिशन के लिए ही राजनीति में आए
मालूम हो कि नाथपंथ की लोक कल्याण की परंपरा को धर्म के साथ राजनीति से भी संबद्ध कर महंत जी ने पांच बार मानीराम विधानसभा और चार बार गोरखपुर लोकसभा क्षेत्र का प्रतिनिधित्व भी किया। श्रीराम जन्मभूमि पर मंदिर निर्माण के लिए हुए आंदोलन को निर्णायक पड़ाव देने के लिए इस राष्ट्रसंत को निश्चित ही युगों युगों तक याद किया जाएगा।
जीवन परिचय-
18 मई 1919 को गढ़वाल (उत्तराखंड) के ग्राम कांडी में जन्में महंत अवेद्यनाथ का बचपन से ही धर्म,अध्यात्म के प्रति गहरा झुकाव था। गोरक्षपीठ में उनकी विधिवत दीक्षा 8 फरवरी 1942 को हुई और वर्ष 1969 में महंत दिग्विजयनाथ की चिर समाधि के बाद 29 सितंबर 1969 को वह गोरखनाथ मंदिर के महंत व पीठाधीश्वर बने। यह सिलसिला 2014 में आश्विन कृष्ण चतुर्थी को उनके चिर समाधिस्थ होने तक अनवरत जारी रहा।
राम जन्मभूमि पर तीन पीढ़ियों का योगदान
अयोध्या में श्रीराम की जन्मभूमि पर मंदिर निर्माण के लिए गोरक्षपीठ की तीन पीढ़ियों का योगदान स्वर्णाक्षरों में अंकित है। महंत दिग्विजयनाथ ने अपने जीवनकाल में मंदिर आंदोलन में क्रांतिकारी नवसंचार किया तो उनके बाद इसकी कमान संभाली महंत अवेद्यनाथ ने।
नब्बे के दशक में उनके ही नेतृत्व में श्रीराम मंदिर आंदोलन को समग्र,व्यापक और निर्णायक मोड़ मिला। लिहाजा पांच सदी के इंतजार के बाद अयोध्या में श्रीराम मंदिर के निर्माण का मार्ग उनके शिष्य योगी आदित्यनाथ की देखरेख में प्रशस्त हुआ है।
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