लखीमपुर कांडः आशीष मिश्रा की रिमांड पर थोड़ी देर में फैसला
1 min readरफ़्तार इंडिया न्यूज़ ब्यूरो
लखनऊ. लखीमपुर खीरी कांड के मुख्य आरोपी आशीष मिश्रा की गिरफ्तारी के मामले में कोर्ट में सुनवाई पूरी हो गई है. एसआईटी ने आशीष से पूछताछ के लिए उसकी 14 दिन की रिमांड मांगी है. आशीष के वकील ने इसका विरोध किया. दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रख लिया है. थोड़ी ही देर में इस पर फैसला सुनाया जाएगा.
सुनवाई के दौरान पुलिस की तरफ से कहा गया कि आशीष मिश्रा से सिर्फ 12 घंटे ही पूछताछ हो पाई, जिसमें उसने जवाब नहीं दिए. इसलिए उनको 14 दिन की पुलिस हिरासत की जरूरत है. लेकिन आशीष के वकील ने इसका विरोध किया. आशीष के वकील ने कहा कि पुलिस के पास पूछने के लिए सिर्फ 40 ही सवाल थे, जिनको पूछ लिया गया था. अगर पुलिस को पूछताछ ही करनी है तो वह जेल में जाकर कर सकती है.
एसआईटी की ओर से कोर्ट में कहा गया है कि आशीष मिश्रा को रविवार रात 10:40 बजे गिरफ्तार किया गया था. उनसे 12 घंटे तक पूछताछ की गई और हमारे लिए इतने कम समय में 40 सवाल पूछना मुश्किल था. हमारे पास बहुत कम तथ्य हैं इसलिए हमें 14 दिनों की हिरासत की जरूरत है. बचाव पक्ष ने पीसी रिमांड का विरोध करते हुए कहा, अगर पुलिस तथ्यों को प्राप्त करने में सक्षम नहीं थी, तो उन्हें पीसी की आवश्यकता क्यों है. क्या यह टॉर्चर के लिए है?
बचाव पक्ष के वकील ने दलील दी कि हमने 8 अधिकारी देखे. उन्होंने 40 प्रश्न किए और 1000 क्रॉस प्रश्न पूछे. आशीष मिश्रा ने सभी को जवाब दिया. मुझे प्रतियां उपलब्ध नहीं कराई गईं. हमारी फाइल को देखने के लिए कहा गया और इसे जब्त कर लिया गया. पिछले एक साल से इसका इस्तेमाल नहीं हो रहा था. हमने आशीष का फोन भी दिया है उसे एक मिनट भी आराम नहीं दिया गया. या तो वह वाशरूम गया था या चाय का ब्रेक लिया था. पुलिस को दोपहर 2 से शाम 4 बजे के बीच 150 तस्वीरें और वीडियो दिए गए, जिससे पता चलता है कि आशीष दंगल रिंग के अंदर था. इन्हें पीपी ने क्लिक किया है. डिफेंस का कहना है, आशीष को सुरक्षा कारणों से पुलिस रिमांड नहीं दिया जाना चाहिए. एक विशाल सभा होगी जो एक संभावित खतरा है.
सरकारी वकील की ओर से कहा गया कि उनके वकील को अंदर रहने की इजाजत थी. हमारे पास प्रश्नकर्ता है, लेकिन मामले की संवेदनशील प्रकृति के कारण वह प्रकट नहीं कर सकता. हमें कुछ गवाहों के साथ आरोपी का सामना करना पड़ता है. दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद कोर्ट ने इस पर फैसला 30 मिनट के लिए सुरक्षित रख लिया है. थोड़ी देर में इस पर आदेश सुनाया जाएगा.