कुनबे की छीनी रोटी,चंद ईंटों ने ले ली रामनिवास गिरि की जान-
1 min readरफ्तार इंडिया न्यूज़-महराजगंज-यूपी-
ब्यूरों-रिपोर्ट-महराजगंज-
कुनबे की छीनी रोटी, चंद ईंटों ने ले ली रामनिवास गिरि की जान-
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महराजगंज/शिकारपुर-दिल को दहला कर रख देने वाले इस दुर्घटना को नियति का खेल कहें या कुनबे की बदनसीबी।
खुले में शौच जाने से मुक्ति हेतु अपनी ही हड़़तोड़़ मेहनत से दिन-रात एक करके शौचालय के टंकी निर्माण करने के लिए आठ फुट गहरा गड्ढा खोदकर अगले दिन पक्की चुनाई कराने के सपने सजोने वाले रामनिवास गिरि एवं उनके कुनबे के लिए मंगलवार का दिन तब बेहद खौंफनाक व काला मंगलवार बन गया जब परिवार के एकमात्र कमाऊ व्यक्ति मुखिया 50 वर्षीय रामनिवास गिरि की गड्ढे में दिख रहे महज चंद ईंटों को निकालने के प्रयास के दौरान किनारे पड़ी मिट्टी के बड़े भाग के अड़ार रूप टूट कर उनके ऊपर गिरने और उसमें दब कर दम घुटने के कारण जान चली गई। परिवारजनों के चीख पुकार को सुनकर पड़ोसियों ने मिट्टी हटाकर रामनिवास गिरि को बचाने का हरसंभव प्रयास किया परंतु तब तक काफी देर हो चुकी थी और उनकी सांसे थम चुकी थीं। इस भयावह व विभत्स दुर्घटना को देखकर पत्नी सुशीला देवी बेसुध हो गई और दोनों बेटे रजनीश व मनीष का कलेजा मुंह को आ गया तथा घुटनों के बल शव के समीप बैठकर दहाड़ मार रोने लगे। गरीबी रेखा से नीचे जीवन यापन कर रहे रामनिवास गिरि अपने घर के एकमात्र कमाऊ सदस्य थे जो कृषि के साथ-साथ दिहाड़ी मजदूरी करके अपने बीबी व बच्चों को दो वक्त की रोटी का जुगाड़ करते थे। उनके मृत्यु के बाद अब कुनबे के समक्ष रोजी रोटी दोनों का संकट खड़ा हो गया है तथा बच्चों की पढ़ाई भी अधूरी रह जाएगी। पत्नी सुशीला देवी का सुहाग उजड़ गया और उनके ऊपर विपत्तियों का पहाड़ टूट गया। बच्चों के सिर से पिता का साया छीन गया। इस घटना के बाद गांव में कोहराम मच गया है। परिवारजनों का रो-रो कर बुरा हाल है। बेहद दुर्भाग्यपूर्ण घटना से कई घरों में चूल्हे तक नहीं जले। छोटे-छोटे बच्चों और पत्नी को देखकर गांव के लोग भी गमगीन हो गए और सभी लोग विधाता को इस कृत्य के लिए कोसने लगे।
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