1952 में हुए विलुप्त घोषित हुए चिता को फ़िर मिलेगी भारत की हरियाली-
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रफ़्तार इंडिया न्यूज-डेस्क-नई दिल्ली-
भारत में विलुप्त होने के 70 से अधिक सालों के बाद चीतों (Cheetah) को फिर से वापस लाया गया है.नामीबिया से आठ अफ्रीकी चीतों (5 मांदा और 3 नर)चीतों को भारत लाया जा चुका है,जिन्हें मध्य प्रदेश के कुनो नेशनल पार्क में छोड़ा गया है.हाल ही में भारत ने नामीबिया के साथ एक समझौता किया गया था,जिसमें जैव-विविधता और चीते के संरक्षण पर जोर दिया गया.इस समझौते की वजह से एक बार फिर भारत के जंगल में चीते की रफ्तार देखने को मिलेगी-
पीएम बाड़े नंबर एक में दो चीतों को छोड़ेंगे
1952 में चीता को भारत से विलुप्त घोषित कर दिया गया था। चीतों को इस साल की शुरुआत में हस्ताक्षरित एक समझौता ज्ञापन के तहत लाया गया है। चीता भारत में खुले जंगल और घास के मैदान के पारिस्थितिक तंत्र की बहाली में मदद करेगा और जैव विविधता के संरक्षण और जल सुरक्षा, कार्बन पृथक्करण और मिट्टी की नमी संरक्षण जैसी पारिस्थितिकी तंत्र सेवाओं को बढ़ाने में मदद करेगा। इससे पहले,प्रोजेक्ट चीता प्रमुख एसपी यादव ने कहा कि पीएम मोदी बाड़े नंबर एक में दो चीतों को छोड़ेंगे और उसके बाद करीब 70 मीटर दूर दूसरे बाड़े में पीएम एक और चीते को छोड़ेंगे।
चीता को सबसे तेज जानवर कहा जाता है-
चीता को सबसे तेज जानवर कहा जाता है। यह करीब 100 से 120 किलोमीटर प्रति घंटे की गति से दौड़ता है। कुनो में जो आवास चुना गया है वह बहुत ही सुंदर और आदर्श है, जहां बड़े-बड़े घास के मैदान,छोटी-छोटी पहाड़ियां और जंगल हैं जो कि चीतों के लिए बहुत उपयुक्त है।कुनो राष्ट्रीय उद्यान में भारी सुरक्षा व्यवस्था की गई है। अवैध शिकार गतिविधियों को रोकने के लिए व्यवस्था की गई है। सभी चीतों में रेडियो कॉलर लगाया गया है जिसके माध्यम से निगरानी की जाएगी। इसके अलावा प्रत्येक चीता के पीछे एक डेडीकेटेड माॅनिटरिंग टीम होगी जो 24 घंटे निगरानी रखेगी।
रफ़्तार इंडिया न्यूज़-नई दिल्ली-