संस्कृत में ही निहित है,भारत की ज्ञानपरम्परा-विनय श्रीवास्तव-
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ब्यूरों रिपोर्ट-महराजगंज-
संस्कृत में ही निहित भारत की ज्ञानपरम्परा-विनय श्रीवास्तव-
महराजगंज। उत्तर प्रदेश संस्कृत संस्थान लखनऊ के तत्वावधान में बीस दिवसीय प्रथम स्तरीय संस्कृत भाषा शिक्षण कार्यशाला का उद्घाटन हुआ। प्रशिक्षु ज्योति ने सरस्वती वन्दना से कार्यक्रम का प्रारम्भ किया। सत्र में संस्कृत भारती अवध प्रांत के पूर्व प्रांत शिक्षण प्रमुख कृष्ण कुमार तिवारी मुख्य वक्ता के रूप में उपस्थित रहे। उनका अभिनंदन निदेशक विनय श्रीवास्तव ने किया। उन्होंने संस्कृत के विद्वानों की प्रशंसा करते हुए तथा सनातन ज्ञान परम्परा का उल्लेख करते हुए संस्कृत भाषा के शिक्षण पर जोर दिया।
अतिथि रूप समागत कृष्ण कुमार तिवारी ने संस्कृत की व्यावहारिक विशेषता बताते हुए संस्कृत को दैनिक जीवन में प्रयोग करने हेतु छात्रों को प्रेरित किया। उन्होंने बताया कि भारत का मूल ज्ञान संस्कृत में ही निहित है। प्रशिक्षक आचार्य दिवाकर मणि त्रिपाठी ने बताया कि ग्रीष्मावकाश में संस्कृत संभाषण सीख कर अपने जीवन को संस्कृतमय बनाने का सुनहरा अवसर संस्थान द्वारा प्रदान किया जा रहा है। लोगों में संस्कृत के प्रति रुचि बढ़ रही है। समन्वयक धीरजमैठाणी ने बताया कि संस्थान के निदेशक विनय श्रीवास्तव के नेतृत्व में देश-विदेश के संस्कृतानुरागियों को बीस दिवसीय निःशुल्क सरल संस्कृत भाषा शिक्षण कराया जा रहा है। समन्वयिका राधा शर्मा ने कार्यशाला के मार्ग दर्शकों प्रशिक्षण प्रमुख सुधीष्ठ मिश्र,योजना सर्वेक्षिका डा.चन्द्रकला शाक्य,प्रबन्धक व निरीक्षकों धीरज मैठाणी,दिव्य रंजन,नागेश दुबे,महेंद्र मिश्र तथा आमन्त्रित शिक्षार्थियों तथा उपस्थित संस्कृतानुरागियों का धन्यवाद ज्ञापित किया। इति वृत्त कथन में प्रशिक्षक आचार्य दिवाकर मणि त्रिपाठी ने बताया कि निःशुल्क प्रशिक्षण पूरा होने के बाद प्रतिभागियों को प्रमाण पत्र भी दिया जाता है। पंजीकरण हेतु sanskritsambhashan.com लिंक् पर जाए। अपने सम्बन्धियों को भी पठनार्थ प्रेरित करें। विभिन्न समय विकल्पों के साथ प्रतिमाह यह बीस दिवसीय कक्षा संचालित होती हैं।
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