2017 में पहली बार जीती भाजपा क्या पांच साल बाद दोहराएगी इतिहास?
1 min readआगरा. एत्मादपुर विधानसभा सीट 2017 तक भाजपा के लिए अबूझ पहेली बनी हुई थी. ‘मोदी लहर’ में पहली बार इस सीट पर जीत मिली. ठाकुर रामप्रताप सिंह ने सजातीय वोटों के सहारे बड़ी जीत दर्ज की. इस सीट पर बाइसी के नाम से प्रसिद्ध क्षत्रियों के 22 गांव निर्णायक भूमिका निभाते हैं. इन गांवों में बसपा प्रत्याशी धर्मपाल सिंह की मजबूत पकड़ मानी जाती थी. लेकिन 2017 में बाइसी ने ठाकुर रामप्रताप का साथ दिया और वह धर्मपाल सिंह को 47 हजार से अधिक वोटों से मात देने में कामयाब रहे.
एत्मादपुर विधानसभा सीट से साल 1952 से 1962 तक दो विधायक चुने जाते रहे थे. एक विधायक सामान्य वर्ग से और दूसरा अनुसूचित जाति से. यह सीट 1967 में सामान्य घोषित कर दी गई, इसके बाद 1974 में फिर सुरक्षित कर दी गई. 2008 के परिसीमन के बाद फिर से सामान्य हो गई. कांग्रेसआखिरी बार 1980 में जीती थी.
1985 से 1993 के चुनाव तक लगातार यहां से चंद्रभान मौर्य परचम फहराते रहे. इस दौरान उन्होंने दो बार जनता दल, एक-एक बार लोकदल और समाजवादी पार्टीसे चुनाव लड़ा. तीन बार बसपा जीत चुकी है. 2017 में बसपा के धर्मपाल की स्थिति मजबूत मानी जा रही थी, लेकिन मोदी लहर में वह ठहर नहीं पाए. 4.17 लाख मतदाताओं वाली एत्मादपुर विधानसभा सीट पर 1.20 लाख क्षत्रिय मतदाता हैं. बघेल 75 हजार, दलित 70 हजार और मुस्लिम वोटर करीब 30 हजार हैं.