शिक्षक एक कुम्हार की तरह बच्चों के व्यक्तित्व को गढ़ता है-
1 min readरफ़्तार इंडिया न्यूज़-महराजगंज-
रिपोर्ट-कृपाशंकर योगी-महराजगंज-
महाराजगंज 5 सितंबर। शिक्षक एक कुम्हार की तरह बच्चों के व्यक्तित्व को गढ़ता है। एक दीपक की तरह जलकर विद्यार्थियों की अज्ञानता का अंधकार दूर करता है। गुरुजनों का सम्मान करने से व्यक्तित्व में निखार आता है।गुरु ईश्वर का स्वरूप होता है।उक्त बातें पनियरा विधायक ज्ञानेंद्र सिंह ने मुख्य विकास अधिकारी कार्यालय स्थित सभागार में बेसिक शिक्षा परिषद द्वारा शिक्षक दिवस पर आयोजित कार्यक्रम में बतौर मुख्य अतिथि बोल रहे थे।
उन्होंने आगे कहा कि शिक्षक दिवस मतलब शिक्षकों का दिन,यही वह दिन है जब हर जगह विध्यार्थी अपने गुरु के प्रति आदर प्रकट करता है उसे वह सम्मान देता है जिसका वह हकदार है ।वैसे देखा जाए तो शिक्षक आदर सम्मान प्राप्त करने के लिए किसी दिन का मोहताज नहीं है,परंतु एक विशेष दिन होने से वह उस दिन कुछ विशेष सम्मान पाता है और विद्यार्थीयों को भी अपने गुरु की महिमा का पता चलता है।सदर विधायक जय मंगल कन्नौजिया ने कहा कि गुरु शिष्य परंपरा भारत की संस्कृति का एक अहम और पवित्र हिस्सा है।जीवन में माता-पिता का स्थान कभी कोई नहीं ले सकता,क्योंकि वे ही हमें इस रंगीन खूबसूरत दुनिया में लाते हैं। कहा जाता है कि जीवन के सबसे पहले गुरु हमारे माता-पिता होते हैं। भारत में प्राचीन समय से ही गुरु व शिक्षक परंपरा चली आ रही है,लेकिन जीने का असली सलीका हमें शिक्षक ही सिखाते हैं। सही मार्ग पर चलने के लिए प्रेरित करतेहै।विधायक नौतनवा ऋषि त्रिपाठी ने कहा कि शिक्षक दिवस 5 सितंबर को मनाया जाता है।’गुरु’का हर किसी के जीवन में बहुत महत्व होता है। समाज में भी उनका अपना एक विशिष्ट स्थान होता है। विजय बहादुर सिंह ने कहा कि सर्वपल्ली राधाकृष्णन जी शिक्षा में बहुत विश्वास रखते थे। वे एक महान दार्शनिक और शिक्षक थे। उन्हें अध्यापन से गहरा प्रेम था। एक आदर्श शिक्षक के सभी गुण उनमें विद्यमान थे। इस दिन समस्त देश में भारत सरकार द्वारा श्रेष्ठ शिक्षकों को पुरस्कार भी प्रदान किया जाता है। छात्र विभिन्न तरह से अपने गुरुओं का सम्मान करते हैं,तो वहीं शिक्षक गुरु-शिष्य परंपरा को कायम रखने का संकल्प लेते हैं। इस दिन डॉ सर्वपल्ली राधाकृष्णन को उनकी जयंती पर याद कर मनाया जाता है। गुरु शिष्य परंपरा भारत की संस्कृति का एक अहम और पवित्र हिस्सा है जिसके कई स्वर्णिम उदाहरण इतिहास में दर्ज हैं। प्रबंधक डॉक्टर बलराम भट्ट ने कहा कि शिक्षक उस माली के समान है,जो एक बगीचे को अलग अलग रूप-रंग के फूलों से सजाता है। छात्रों को कांटों पर भी मुस्कुराकर चलने के लिए प्रेरित करता है। आज शिक्षा को हर घर तक पहुंचाने के लिए तमाम सरकारी प्रयास किए जा रहे हैं। शिक्षकों को भी वह सम्मान मिलना चाहिए जिसके वे हकदार हैं। एक गुरु ही शिष्य में अच्छे चरित्र का निर्माण करता है।जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी आशीष सिंह ने अतिथियों का बैज लगाकर स्मृति चिन्ह देकर स्वागत किया। इस अवसर पर तमाम शिक्षको को सम्मानित भी किया गया। इस अवसर पर भाजपा किसान मोर्चा जिलाध्यक्ष वीरेंद्र चौहान,संजीव शुक्ला,कुलदीप बाबू सहित तमाम बेसिक शिक्षा विभाग के अधिकारी कर्मचारी एवम शिक्षक मौजूद रहे।
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